मिलन चाह तो दोनों ओर है
मिलन चाह तो दोनों ओर है
तड़प यहाँ भी है ,तड़प वहाँ भी है
फर्क बस इतना है कि वह तड़प कर भी तड़प बयां नहीं कर पाती ।
सूनापन यहाँ भी है ,सूनापन वहाँ भी है
अंतर बस इतना है कि वहाँ सबकुछ होते हुए भी एक बिना एकाकी है ,
यहाँ के लिए तो सबकुछ वही है उसके बिना बाकी सब एकाकी है ।
अब कहना क्या रह गया जो बाकी है?
दोनों जगह चाह है मिलन की ,
इश्क में हर हदें पार करने की ,
सुकून की तलाश में सारी सरहदें पार करने की ।
मिलन की राह में अभी कुछ पल का फासला अभी बाकी है,
जब इतनी फासले फतह कर ली हमने एक - दूसरे के साथ से
तो निश्चित ही कुछ पल बाद वो घड़ी ,
वो मिलन का दिन अवश्य ही आएगा ।
जिसका बेसब्र इंतजार यहाँ भी है ,वहाँ भी है ।
सपने को हकीक़त में बदलने की उल्लास
एक- दूसरे की हमदर्द बन साथ निभाने की जज्बात्,
इस दिल में भी है उस दिल में भी है ।

