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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

मिलन चाह तो दोनों ओर है

मिलन चाह तो दोनों ओर है

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तड़प यहाँ भी है ,तड़प वहाँ भी है 

फर्क बस इतना है कि वह तड़प कर भी तड़प बयां नहीं कर पाती ।

सूनापन यहाँ भी है ,सूनापन वहाँ भी है 

अंतर बस इतना है कि वहाँ सबकुछ होते हुए भी एक बिना एकाकी है ,

यहाँ के लिए तो सबकुछ वही है उसके बिना बाकी सब एकाकी है ।

अब कहना क्या रह गया जो बाकी है?

दोनों जगह चाह है मिलन की ,

इश्क में हर हदें पार करने की ,

सुकून की तलाश में सारी सरहदें पार करने की ।

मिलन की राह में अभी कुछ पल का फासला अभी बाकी है,

जब इतनी फासले फतह कर ली हमने एक - दूसरे के साथ से 

तो निश्चित ही कुछ पल बाद वो घड़ी ,

वो मिलन का दिन अवश्य ही आएगा ।

जिसका बेसब्र इंतजार यहाँ भी है ,वहाँ भी है ।

सपने को हकीक़त में बदलने की उल्लास 

एक- दूसरे की हमदर्द बन साथ निभाने की जज्बात्, 

इस दिल में भी है उस दिल में भी है ।



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