तड़पती मोहब्बत
तड़पती मोहब्बत
तुम्हारा इंतज़ार करूंगी में,
चाहे प्यार की इंतहा क्यूं न हो जाए,
न होगा कभी रश्क, जो तेरे आने से पहले
मुझे कयामत ले जाए।
फैसला मेरा था तुझे चाहने का,
फिर खुदा पर क्यूं आरोप किया जाए,
मेरा दिल कहता है लुटा दे मोहब्बत में खुद को,
तुझे पाने में चाहे हम फना क्यूं न हो जाए।
तुम मानोगे नहीं,
दिए जला रखे हैं दिल में
तुम्हारे इंतजार में हमदम,
कोशिश करना कि इनके बुझने से पहले
हमें तेरा दीदार हो जाए
गर न कर सके इजहार ए मोहब्बत,
खुदा करे, हमारे जिस्म से रूह आज़ाद हो जाए।
ये याद रखना कि, तुम कर रहे हो नजरंदाज लेकिन,
कल गर तुम हमें तलाश करते आए,
अल्लाह रहम करे तुम पर, गर मुलाकात न होने पाए।
हमारी ज़िंदगी की कोई गारंटी नहीं देते सनम,
क्या मालूम, जो तेरी बाट जोहते जोहते, मेरा जनाजा निकल जाए।
सच कहते हैं कि तुमसे मोहब्बत करते हैं, इंतहा की हद तक,
वक्त मिले तो क़दम रखना इस दिल की सतह पर,
हमने समंदर को आंखों में रखा है कैद,
अब तक।

