मुस्कान
मुस्कान
कही खोई खोई सी थी
जाने कहा चली गयी थी
ना दिल को सुकून मिलता था
ना होटो तक आती थी
गुमसुम से दिन और गुमसुम राते लगने लगी
उसकी आदत जो लगी थी
उसके बिना मैं बेबस सी होने लगी
सोचा उसे कैसे वापस लाया जाए
अपने दिल के इस बेबसी को
कैसे खुद से दूर किआ जाए
शांत होकर एकांत होकर
मैंने वक्त को थोड़ा वक्त दे दिया
अपने बेबसी को खुदसे दूर कर
छोटी छोटी चीज़ों में मैंने सुकून पाना सीख लिया
अचानक आज वो लौट कर आई
अपनी बातों से मेरा दिल फिर जीत गयी
चलो सुकून इस बात से है
के मेरी मुस्कन फिर मेरे पास लौट आयी।