STORYMIRROR

Miss Komal Sanjay Sawalakhe

Romance

4  

Miss Komal Sanjay Sawalakhe

Romance

मुस्कान

मुस्कान

1 min
337

कही खोई खोई सी थी

जाने कहा चली गयी थी


ना दिल को सुकून मिलता था

ना होटो तक आती थी


गुमसुम से दिन और गुमसुम राते लगने लगी

उसकी आदत जो लगी थी

उसके बिना मैं बेबस सी होने लगी


सोचा उसे कैसे वापस लाया जाए

अपने दिल के इस बेबसी को

कैसे खुद से दूर किआ जाए


शांत होकर एकांत होकर

मैंने वक्त को थोड़ा वक्त दे दिया

अपने बेबसी को खुदसे दूर कर

छोटी छोटी चीज़ों में मैंने सुकून पाना सीख लिया


अचानक आज वो लौट कर आई

अपनी बातों से मेरा दिल फिर जीत गयी

चलो सुकून इस बात से है

के मेरी मुस्कन फिर मेरे पास लौट आयी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance