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Miss Komal Sanjay Sawalakhe

Abstract

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Miss Komal Sanjay Sawalakhe

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जितना जरूरी है

जितना जरूरी है

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कुछ सपने है जो

सोने नहीं देते

कुछ अपने है

जो रोने नहीं देते


आँखें गर लग जाये

और मेरा सपना टूट जाये

इस डर से कई

रातें नींद लगती नहीं


खोजना चाहती हूँ

करोड़ों की भीड़ में

मैं अपने आप को कही

मंज़िल है धुंधली


पर हौसले बुलंद है

रास्ते नहीं आसान

पर जीतना जरूरी है

सारी अधूरी बातों में

बस यही बात पूरी है

जीतना बहुत जरूरी हैं।


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