खोज
खोज
वो कहते थे
के
इस कायनात में कोई भी खोई हुई चीज
लौट कर नही आती है
चाहे
वो कोई खत हो
मुस्कान हो
आँखों से किसी के खुशियों के लिए
बहाया कोई अक्स हो
या आपके हृदय का सबसे करीबी
कोई शख्स हो
रोज़ हम हमारे ज़िंदगी के
खोये टुकड़ो को ढूंढने
और भूल जाने कि इस खोज में होते हैं
कभी उदास तो कभी मौज में होते हैं
मगर सच कहूं
तो ये एक ऐसी खोज है
जिसका न कोई आरंभ है
और ना कोई अंत है।