ए ज़िन्दगी
ए ज़िन्दगी
बैठ जाओ ए ज़िन्दगी कभी मेरे पास आकर
के गुफ्तगू करनी है
कभी थोड़ा पास बुलाकर
के है कई सवाल
जिनके जवाब है तू
के समझने लगु तो पता चले
के कितनी खूबसूरत किताब है तू
के तेरे दिए हर तकलीफो को
तेरे सामने रखु
और अपने हर सवालो के साथ
उन्हें तेरे नजरिये से देख सकू
के जान सकू
तू सचमुच मेरी है
और जो पल पल जी रही हु मैं
ये दि हुई ज़िन्दगी कि इनायत तेरी है
के एक बार तुझपे, तुझसे ज्यादा विश्वास रख सकू
अपने दिल मे तुझे सबसे पास मैं रख सकू
के बैठ जाओ ए ज़िन्दगी
कभी मेरे पास आकर
गुफ्तगू करनी है तुमसे
कभी थोड़ा पास बुलाकर।