बरखा रानी
बरखा रानी
झूम उठी है बगिया सारी
उमड़ कर जब आए बादल,
हर्ष हो उठी सारी दुनिया
बजने लगे खेतों में मांदल।
ये रंग बिरंगी डाली डाली
मुस्काती है तितली रानी,
उछल कूद कर मेंढक राजा
भरने चला वह जैसे पानी।
देख मेंढकी मेंढक को
सज-धज कर इतराती है,
मटक मटक कर उसे रिझाने
गीत ख़ुशी के गाती है।
थक गए हैं सूरज दादा
चन्दा तारे भी घबराए,
दमक दमक कर बिजली रानी
राह सबको ही दिखलाए।
झूम झूम कर डिस्को नाच
करती है आंगन में बूंदे,
टीनू, सोनू और मोनू भी
खड़े घबराकर आंखें मूंदे।
बहने लगी है प्यासी नदियां
छल छल कल कल होकर पागल,
सारी धरती लगे सुहागिन
ओढ़ा जब हरियाली का आंचल।