STORYMIRROR

Bherusingh Chouhan

Inspirational

4  

Bherusingh Chouhan

Inspirational

आजाद वह कहलाया

आजाद वह कहलाया

1 min
327

चल रहा था उन दिनों

आंदोलन महात्मा गांधी का,

उठा जलजला चारों ओर

आजादी की इस आंधी का।


आंदोलन को नन्हा बालक 

देख रहा था खड़ा खड़ा

हाथों में वह लेकर झंडा

गांधी के संग कूद पड़ा।


जोशीले अंदाज़ में उसने

नारा "वन्दे मातरम्" लगा दिया,

पुलिस ने नन्हे बालक को

आकर जब उसे पकड़ लिया।


कचहरी के जब कटघरे में

उस बालक को खड़ा किया,

यारों आजादी के अमृत को

हंसते हंसते उसने पी लिया।


मजिस्ट्रेट ने जब पूछा परिचय

उसने "आजाद " नाम बतलाया,

पिता बताया "स्वाधीनता" को

नहीं तनिक मौत से घबराया।


पता बताया जब निडर होकर

अपना उसने जब जेलखाना ,

नहीं सिखा गैरों के आगे 

नहीं कभी शीश झुकाना।


आग बबूला हुआ मजिस्ट्रेट

"बेंतमार" की सजा सुनाई ,

नन्हे बालक पर जालिमों को

देखो तनिक दया न आई।


नंगी पीठ पर नन्हा बालक

सहता रहा बेतों की मार ,

चारों ओर "भारत माता" की

गूंज उठी थी आज पुकार।


खुला बदन था उसका देखो

निडर ,निर्भीक ,साहस अपार,

टपक रहा था ओज पसीना

"मातृ भूमि" का था श्रृंगार ।


तूफान उठा कर चला गया

जो आंधी बनकर आया था

आजादी का मतलब सबको

नन्हे बालक ने समझाया था।


चन्द्रशेखर वह नन्हा बालक 

जीवन भर "आजाद" कहलाया,

हंसते हंसते देश की खातिर

मौत को उसने गले लगाया।


आजादी का परचम उसने

चहुं ओर जब यह लहराया ,

"वन्दे मातरम्"- "वन्दे मातरम्"

सब ने मिलकर यह गाया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational