STORYMIRROR

Dr. Shubhra Maheshwari

Tragedy Classics

4  

Dr. Shubhra Maheshwari

Tragedy Classics

मतलबी दोस्त

मतलबी दोस्त

1 min
498

लोग आगे से वाह वाह करते रहे।

और फिर पीछे से बार करते रहे।।


हमने जिन पर किया एतबार हर पल,

वही दोस्त बार पर बार करते रहे।।


नागफनी और दोस्तों में न कर पाये फर्क।

वो हमारी तमन्नाओं का कत्ल बार बार करते रहे।


क्या क्या न कहर ढाया मेरे दोस्तों ने।

वो हम पर बार बेशुमार करते रहे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy