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Dr. Shubhra Maheshwari

Abstract Fantasy Others

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Dr. Shubhra Maheshwari

Abstract Fantasy Others

प्रोफेसर कोरोना(व्यंग्य कविता)

प्रोफेसर कोरोना(व्यंग्य कविता)

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प्रोफेसर कोरोना एक बात पूछती हूं -सटीक उत्तर बताइए,

उत्तर देते जरा भी ना शर्माए, बात निष्पक्ष होकर बताइए।

आप कहां तक जा सकते हैं, किस-किस से वचन निभा सकते हैं,

अपना दायरा आप हमें निष्पक्ष समझा सकते हैं। 

क्या विवाह समारोह में आप नहीं जाते?

क्या दूल्हा दुल्हन से डर लगता है ?

या ब्यूटी पार्लर में सजी दुल्हन से डर जाते हैं,

शायद इसीलिए वहां नहीं जाते हैं या फिर

यहां अपनी मानवता दिखाकर आशीष दे जाते हैं?

क्या धरना स्थल भी आपका केंद्र नहीं है,

या चुनाव का साथ निभाते हो क्योंकि वहां तो कभी नहीं जाते है।

 

बस इतना बता दो- कि किसे किसे नहीं सताते हो?

कहां -कहां, कब- कब, किस समय नहीं जाते हो?

एक बात और बता दो -जो बाहर का नहीं खाता,

हर समय मास्क लगाता ,ऑनलाइन काम करता है 

ऐसे व्यक्ति के ही पास जाते हो।

शायद हमारे चाइना बहिष्कार से खिसिया गये गए हो

क्या इसीलिए हमारे पास आ गए हो ।

पर एक बात हमारी सुन लेना, दिल में बहुत अच्छी तरह गुन लेना।

तुम हमारा कुछ ना बिगाड़ पाओगे ।

हमने चायना बहिष्कार किया है तो तुम्हें भी टिकने नहीं देंगे।

हम हिंदुस्तानी हैं अपना दायित्व सदा निभाएंगे

और मुंह की खिलाकर सदा के लिए

तुम्हें वापस तुम्हारे ही देश पहुंचायेंगे।

तुम्हें मार गिरायेंगे।



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