खुशियों की तलाश
खुशियों की तलाश
आओ चलो अपने दर्द को गठरी में बांध लेते हैं
चलो सारे गम भी उसी में कैद कर लेते हैं।।
अब थोड़ा सा मुस्कुरा कर देखते हैं ईश को,
चलो ऐसे ही सही खुशियां तलाश लेते हैं।।
आओ चलो अब रंजो गम भी बांध देते हैं।
बीती यादें भी उसी गठ्ठर में डाल देते हैं।।
मुस्कुराहटें छोड़ी थीं जो औरों के लिए,
चलो उनसे ही जिंदगी में कदम तलाश लेते हैं।।
इस जमाने के दिये गमों का कब तक रोना।
इस भारी सी गठरी को भी अब क्यूं ढोना।।
चलना अब चलते ही जाना है हमें अनवरत ,
चलो 'शुभ्रा' हरेक पल में खुशी निकाल लेते हैं।।