- कवयित्री -मंच संचालिका
क्या क्या न कहर ढाया मेरे दोस्तों ने। वो हम पर बार बेशुमार करते रहे।। क्या क्या न कहर ढाया मेरे दोस्तों ने। वो हम पर बार बेशुमार करते रहे।।
इसका सोंधापन होंठों पर हंसी ला देता है मिट्टी जब हो मेरे देश की। इसका सोंधापन होंठों पर हंसी ला देता है मिट्टी जब हो मेरे देश की।
मैं निर्बल नहीं, खत सी खुशियां भी बिखेर सकती हूं। मैं निर्बल नहीं, खत सी खुशियां भी बिखेर सकती हूं।
जिंदगी हरपल नया सबक सिखा जाती है हालात दिखा नये नये रंग दे जाती है। जिंदगी हरपल नया सबक सिखा जाती है हालात दिखा नये नये रंग दे जाती है।
आओ चलो अपने दर्द को गठरी में बांध लेते हैं! आओ चलो अपने दर्द को गठरी में बांध लेते हैं!
इस विश्वास में जिंदगी गुजार दी। इस विश्वास में जिंदगी गुजार दी।
जब मेरा अपना आशियाना था, हर तरफ मेरा ही फसाना था।। जब मेरा अपना आशियाना था, हर तरफ मेरा ही फसाना था।।
बस इतना बता दो- कि किसे किसे नहीं सताते हो? कहां -कहां, कब- कब, किस समय नहीं जाते हो? बस इतना बता दो- कि किसे किसे नहीं सताते हो? कहां -कहां, कब- कब, किस समय नहीं ...
प्यासा मन प्यासा ही रह ,पपीहा सा हुआ जाता है। प्यासा मन प्यासा ही रह ,पपीहा सा हुआ जाता है।
चलो सबका साथ सबका विकास हो आओ रोटी के टुकड़े का ही अनुबंध करते हैं। चलो सबका साथ सबका विकास हो आओ रोटी के टुकड़े का ही अनुबंध करते हैं।