Anupama Gupta
Tragedy Classics Inspirational
ताउम्र रहा
प्रतिपल संघर्ष
फिर भी हर्ष।
आस-पास ही
कोई है बुन रहा
मकड़जाल।
बाग भीतर
मुरझाते सुमन
माली बेचैन।
अंजान राहें
मन को भटकाती
खूब रुलाती।
तुम जो आए
मन -उपवन में
फूल मुस्काए।
शुरुआत
अस्पष्टता
गर्मी की छुट्...
मानवता
साठ पार
कब कौन
गुफ्तगू
गृहस्थी में ख...
कई बातें
गणतंत्र
आज राजनीति का सम्बंध स्वार्थपरता का दौर बना है! आज राजनीति का सम्बंध स्वार्थपरता का दौर बना है!
सूना लगता है संसार सारा, जब खो जाए कोई आपका सबसे प्यारा, सूना लगता है संसार सारा, जब खो जाए कोई आपका सबसे प्यारा,
वो कहते थे कभी न छोड़ेंगे हाथ तुम्हारा, छोड़ दिया हमको भँवर में कैसा प्यार था तुम्हारा। वो कहते थे कभी न छोड़ेंगे हाथ तुम्हारा, छोड़ दिया हमको भँवर में कैसा प्यार था त...
पर तू आईने में सही अक्स को देखना, सही अक्स ने ही सबको हंसा रखा है। पर तू आईने में सही अक्स को देखना, सही अक्स ने ही सबको हंसा रखा है।
सत्ता का नशा चढ़ा ऐसा कर डाला है, छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ बना डाला है! सत्ता का नशा चढ़ा ऐसा कर डाला है, छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ बना डाला है!
एक सैनिक की पत्नी की चूड़ियाँ क्या कहती हैं ....................... एक सैनिक की पत्नी की चूड़ियाँ क्या कहती हैं .......................
रह रह कर उठ रही है, दिल में आग जल रही है। रह रह कर उठ रही है, दिल में आग जल रही है।
कट रहा है जीवन बोझ जैसा सूखता मन टूटे पेड़ जैसा। कट रहा है जीवन बोझ जैसा सूखता मन टूटे पेड़ जैसा।
तुम इस दिल से जो दूर गए, हम प्रेम का अक्षर भूल गए! तुम इस दिल से जो दूर गए, हम प्रेम का अक्षर भूल गए!
जब से धोखा खाया ख़ुदा पर अटूट भरोसा करना सीख गए। जब से धोखा खाया ख़ुदा पर अटूट भरोसा करना सीख गए।
शोषित नारी पंखे से लटक जाती है, तब न जाने क्यों मेरी नींद उड़ जाती है। शोषित नारी पंखे से लटक जाती है, तब न जाने क्यों मेरी नींद उड़ जाती है।
तड़प रहा हूँ तेरे बगेर लिख रहा हूँ रो रो के गाना। तड़प रहा हूँ तेरे बगेर लिख रहा हूँ रो रो के गाना।
नशा कोई भी हो अक्सर बनता है पतन का कारण, इससे दूर रहना ही है एकमात्र निवारण। नशा कोई भी हो अक्सर बनता है पतन का कारण, इससे दूर रहना ही है एकमात्र निवारण।
दिल में लहर चली तूफ़ान उठा, बगावत की आग में धुआं उठा दिल में लहर चली तूफ़ान उठा, बगावत की आग में धुआं उठा
कभी कभी तो मुझे लगता है कि मेरी जिदंगी भी इन्हीं रेल की पटरियों जैसी है! कभी कभी तो मुझे लगता है कि मेरी जिदंगी भी इन्हीं रेल की पटरियों जैसी है!
गिरगिट की अब मिसाल देना तुम छोड़ो, इंसान जो इतने रंग बदलनेवाले बने है। गिरगिट की अब मिसाल देना तुम छोड़ो, इंसान जो इतने रंग बदलनेवाले बने है।
ना हिन्दू,ना मुसलमान मरता है जब भी मरता है, इन्सान मरता है ना हिन्दू,ना मुसलमान मरता है जब भी मरता है, इन्सान मरता है
एक दिवस तेरे आँगन से, चिड़िया सी उड़ जाऊँगी। एक दिवस तेरे आँगन से, चिड़िया सी उड़ जाऊँगी।
सब गुमशुदा हैं इस शहर में जिंदगी की तलाश में! सब गुमशुदा हैं इस शहर में जिंदगी की तलाश में!
अधूरे रह जाते हैं किस्से इश्क़ के अमृता को भी साहिर का साथ ना मिल पाया अधूरे रह जाते हैं किस्से इश्क़ के अमृता को भी साहिर का साथ ना मिल पाया