हाइकू
हाइकू
ताउम्र रहा
प्रतिपल संघर्ष
फिर भी हर्ष।
आस-पास ही
कोई है बुन रहा
मकड़जाल।
बाग भीतर
मुरझाते सुमन
माली बेचैन।
अंजान राहें
मन को भटकाती
खूब रुलाती।
तुम जो आए
मन -उपवन में
फूल मुस्काए।
ताउम्र रहा
प्रतिपल संघर्ष
फिर भी हर्ष।
आस-पास ही
कोई है बुन रहा
मकड़जाल।
बाग भीतर
मुरझाते सुमन
माली बेचैन।
अंजान राहें
मन को भटकाती
खूब रुलाती।
तुम जो आए
मन -उपवन में
फूल मुस्काए।