जीवन के बाद
जीवन के बाद
मेरे बाद
तुम लिखना
मेरी कहानी
सिर्फ मेरी
बगैर तुम्हारे
देखना
तुम शून्य हो जाओगे
निःशब्द हो जाओगे
नहीं सूझेगा तुम्हें वाक्य
नहीं याद आएगी कोई बात
जो तुम्हारे बिना हुई हो ....
एक भी खुशी
और
एक भी गम
नहीं मिलेंगे
जिसमें तुम शामिल नहीं थे
तुम्हारे बिना
मेरा कोई वजूद न था
तुमसे शुरू हुई थी मेरी जिंदगी
बीहड़ अनिश्चितता के डगर पर
बड़ी लम्बी
सदियों की दूरी
मीलों के फासले
तय किए हैं हमने
साथ साथ चलकर
उम्र के इस पड़ाव पर
पहुंचे हैं ....
जहां कदम लड़खड़ाने लगे थे
निगाहें मद्धिम हो चली थी
आवाज़ साथ नहीं दे पा रही थी
मेरे मन में उठते विचारों को अभिव्यक्त करने में
शब्दहीन मन
निढाल तन
लरजते अश्क
नीरस उबासी भरी दोपहरी
और तुम ........
लिखना कभी मेरी कहानी बिना तुम्हारे साथ के ......
नहीं लिख पाओ तो समझ लेना
तुम मुझ में समाहित हो चुके हो
और
और मैं
तुम में विलीन ...........!