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Priya Kashyap

Romance Fantasy

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Priya Kashyap

Romance Fantasy

उस उड़ान की फिर तलाश है

उस उड़ान की फिर तलाश है

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एक वक्त था जब मैं अपने मन की पिंजरे में कैद रहा करती थी 

ना खुद उड़ना ना किसी को उड़कर मेरे पास आने दिया करती थी 

लगता था जैसे यह पिंजरा मुझे महफूज रखेगा 

मेरा दिल संभाल कर संजोएगा

पर हमेशा हमारी इच्छा पूरी नहीं होती फिर कहीं से एक परिंदा उड़कर मेरे पास आया

मुझे थोड़ी घबराहट हुई

मैं डर गई कि कहीं कोई मेरी दुनिया को बिखेरने तो नहीं आया

बातें हुई पिंजरे के आर पार से बहुत बातें

जिन्हें शुरू कर पिंजरे की दुनिया अब कैद से लगने लगी

मैंने मेरे दिल को समझाया तुझे डर क्यों लग रहा है 

एक बार बस एक बार उसकी बात मान कर तो देखो

अपनी पंखों को खुलकर हवा से बातें तो करने दे 

फिर क्या मैं उसके साथ खुली हवा में उड़ने लगी

इस आजादी को महसूस करने लगी 

ये मेरे दिल का ऐसा हिस्सा बन गया कि मुझे आजादी से इश्क हो गया 

उस आजादी से जिसमें मैं जो चाहे कर सकती हूं 

धीरे-धीरे वक्त के साथ मुझे उसमें एक गहरा दोस्त नजर आया 

एक ऐसा दोस्त जो मेरी छोटी छोटी ख्वाहिशों को समझता और उन्हें पूरा करता था 

अब जो वक्त है जिंदगी में सब रुक सा गया है 

मैं आजाद तो हूं पर उस परिंदे के साथ एक उड़ान की तलाश में हूं 

कैसे बताऊं उसे मैं फिर से उसके साथ आजाद होना चाहती हूं 

उसके साथ दुनिया को महसूस करना चाहती हूं 

उस उड़ान की तलाश है जो मैं उसके साथ उड़ा करती थी


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