बाल विवाह
बाल विवाह
बाल विवाह समस्या है भारी,
इस ज्वाला में जलती छोटी सी किलकारी।
यह कैसी रीति कैसे रिवाज है,
जिसमें दिखती नहीं पिता को बेटी की लाचारी।
बचपन में ही उसे पराया बना दिया,
अंधविश्वास में पराए घर ब्याह दिया।
गुड्डे गुड़िया से खेलने की उम्र थी,
उसके अरमानों को हवन कुंड में जला दिया।
जो चिड़िया बन चहकती थी घर में ,
जिसने अंधकार में प्रकाश भर दिया।
अब मंदिर में जाकर ढूंढते है शांति,
घर की शांति को कब का मिटा दिया।
अब तो पढ़े लिखे लोगों का समाज है,
आओ अच्छे विचारों का आगाज करें।
चलो फिर से एक नई शुरुआत करें,
बाल विवाह नामक दानव का नाश करें।
