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Anuj Pathak

Tragedy

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Anuj Pathak

Tragedy

क्रांतिकारी

क्रांतिकारी

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शोभायमान भारती के श्रृंखला श्रृंगार में,

नेताजी जैसे हर जेवर को प्रणाम है।

आजादी स्वाद चखने को गोली गोरी झेलती,

उन छातियों के कलेवर को प्रणाम है।


प्रखर सायक था साध लिया भृकुटी पर,

फांसी पर भगत तेवर को प्रणाम है।

महिमामंडित किया खंडित थी प्रतिमा जो,

ऐसे पंडित चंद्रशेखर को प्रणाम है।


अनुरक्त था जो रक्त छला गया प्रताप का,

जयचंदो ने जड़ें काटी थी इस देश की।

जवानी में सुनानी कहानी बलिदानी झांसी,

रानी ने बदली थी परिपाटी इस देश की।


शिवाजी जैसी मिली थी कृपाण धरा को तब,

कोदंड सी तनी थी भ्रकुटी इस देश की।

भगत सुभाष शेखर ने होकर विरक्त,

ऐसे ही नहीं चुनी थी माटी से देश की।


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