जब से रूढ़िवादिता चलन हुआ है।
जब से रूढ़िवादिता चलन हुआ है।
मेरा प्रश्न वीरपुत्रों से, जो भारत की पहचान है,
जिनके आदर्शों में मर्यादा पुरुषोत्तम राम है।
धर्म पर तर्क करें, गीता, वेद, पुराणों, के ज्ञान से,
भारत भाल ऊंचा रखा कलाम के विज्ञान से।
नमन हर बार चाणक्य, विवेकानंद, सुजान को,
विश्वगुरु खिताब जिताया मेरे हिंदुस्तान को।
जब से परंपराओं में रूढ़िवादिता चलन हुआ,
हम सबके मन से मानवता का हरण हुआ है।
पशुओं के मन की पीड़ा किसको दिखती है,
धर्म ग्रंथो के नाम पर जान गँवानी पड़ती है।
जो धर्म ग्रंथ शांति का पाठ पढ़ाया करते हैं,
आत्मा परमात्मा का मिलन कराया करते हैं।
परायों में अपनेपन का भाव जगाया करते हैं,
कोई बतलाए वे हिंसक केसे हो सकते हैं।
युवाओं मिटा दो अब रूढ़िवादिता निशान को,
पुनः सोन चिरैया बना दो, मेरे हिंदुस्तान को।
