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Umesh Shukla

Tragedy

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Umesh Shukla

Tragedy

सहज जीना हो गया हराम

सहज जीना हो गया हराम

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पूंजीपतियों की पहलू तक 

सीमित हर मस्तानी शाम 

मध्यमवर्गीय भारतीयों का 

सहज जीना हो गया हराम 

महंगाई की मार से बोझिल 

देश का हर घर और परिवार 

कमाई के अवसर सीमित पर 

बढ़ रहा खर्चों का बोझ अपार 

जब से दुनिया में होने लगा है 

अडानी के हथकंडों का जिक्र 

सबको सताने लगी हैं बैंकों में 

जमा धन की सुरक्षा की फ़िक्र 

केंद्र सरकार खामोशी ओढ़े है 

सेंसेक्स लगा रहा गोते लगातार 

आशंका से हिलने लगी है अब 

जन मन के विश्वास की दीवार 

केंद्र सरकार को समय रहते ही 

उठाने होंगे कुछ सार्थक कदम 

अन्यथा जनता के अविश्वास से 

थम जाएंगे आर्थिक क्षेत्र के कदम।


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