दुर्घटना
दुर्घटना
आ गया है अब ऐसा जमाना
न जाने कब दुर्घटना से हो सामना
जिंदगी का नाम है खोना और पाना
न जाने कब कहां किसने है समाना
घर से निकलते ही जिंदगी का भरोसा नहीं
कभी सड़क दुर्घटना का हो जाना कहीं
सड़क के गडडो में धंस जाना कहीं
कभी चोरों के चंगुल में फन्स जाना कहीं
कभी दंगों का शिकार हो जाना
कभी बम धमाके में मारे जाना
कभी अपहरण कर लिया जाना
कभी प्राकृतिक आपदा का आ जाना
आम है घर में दुर्घटना का होना
कभी करंट का झटका लगना
कभी कहीं फिसल या गिर जाना
कभी आग का लग जाना
यूं ही हम दुर्घटना से घिरे होते हैं
ना जाने कब शिकार हो जाते हैं
बस एक झूठी जिंदगी हम जीते हैं
ना जाने कब जिंदगी हार जाते है।
