खामोशियाँ
खामोशियाँ
तुम इस दिल से जो दूर गए,
हम प्रेम का अक्षर भूल गए
जो खुद के ही वादे भूल गए
संग जीने के इरादे टूट गए
दिल को तड़पता छोड़ गए
संग जीने की कसमें तोड़ गए
तुम इस दिल से जो दूर गए,
हम प्रेम का अक्षर भूल गए!
वो जज्बात तुम्हारे, जो रहे नहीँ
क्या थे अरमान हमारे, कहे नहीं
अपने ही दिल से मजबूर हो गए
दूर, खुद से भी बड़ी दूर हो गए
तुम इस दिल से जो दूर गए,
हम प्रेम का अक्षर भूल गए!
तू ही शाम मेरी तू ही तो सबेरा था
तेरे प्रेम के छावं में मेरा बसेरा था
प्रेम का दामन जो तेरा यूँ छूट गया
प्रीत भरा दिल मेरा पलमें टूट गया
तुम इस दिल से जो दूर गए,
हम प्रेम का अक्षर भूल गए!
तेरी हर बोली वादा और इरादा थी
प्रेम की बोली जीवन की आशा थी
वो दिन क्या खूब रहे जो बीत गए
अपने हों या सपने सब ही रीश गए
तुम इस दिल से जो दूर गए,
हम प्रेम का अक्षर भूल गए!
न हँसने की न रोने की
बस यादों में खोने की
जाने कौन घड़ी आई है
चारों तरफ तन्हाई है
एक उदासी छाई है
खुद की खुद से रुसवाई है
न कहता न सुनता हूँ
जानें क्यों बस चुप रहता हूँ!
तुम इस दिल से जो दूर गए,
हम प्रेम का अक्षर भूल गए!