साहिल
साहिल
मिलकर साथ हमारे करना था जिनको हर दरिया पार
जिसे समझा अपना साहिल,महज किनारा निकला
बनकर बेदर्द, गली से एक दिन यार हमारा निकला.....
थाम के दामन जिनका निकले करने मंजिल की खोज
समझा सूरज -चाँद जिसे हमने, महज सितारा निकला
बनकर बेदर्द, गली से एक दिन यार हमारा निकला.....
दिल के दर्पण में जिसका हमने प्यार सजाया
जिसे समझा ख्वाबों की ढाल गैरो का प्यारा निकला
बनकर बेदर्द, गली से एक दिन यार हमारा निकला.....
कभी लगता था जो हमको इक बेगाना आशिक
वो बेगाना आशिक सच में महज सहारा निकला
बनकर बेदर्द, गली से जिस दिन यार हमारा निकला
वो बेगाना, बनकर मरहम दिलदार हमारा निकला...