Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

एम एस अजनबी

Abstract

4  

एम एस अजनबी

Abstract

जी भर के रोना चाहता हूँ

जी भर के रोना चाहता हूँ

1 min
355


होता हूँ जब तन्हा तो जी भर के रोना चाहता हूँ!


गर्दिशों में भी मैं चेहरे पे मुस्कान बनाये रखता हूँ

बेबसी में भी अपनों के अरमान सजाये रखता हूँ

दर्द से हूँ चूर पर नहीं मैं महसूस करना चाहता हूँ

मजबूर ही सही पर मजबूत खड़ा होना चाहता हूँ!


कहने को तो बहुत कुछ है पर चुप रहना चाहता हूँ

खातिर अपनों के आखिरी साँस लड़ना चाहता हूँ

हाँ थक चुका हूँ मैं ख्वाहिशों को पूरा करते करते पर

कैसे कह दूँ सरे-आम कि मैं भी रुकना चाहता हूँ!


बहन की उम्मीदें तो भाई का अरमान हूँ मैं

दोस्तों की जान तो किसी का ख्वाब हूँ मैं

माँ बाप की आँखों का चमकता सितारा हूँ मैं

उम्मीदों, चाहतों, अरमानों का पिटारा हूँ मैं!


हाँ मैं मर्द हूँ तुम जो कहो तो पत्थर दिल ही सही

ये अपनों की चाहत है जो सब सहना चाहता हूँ!


पहनकर नकाब चेहरे पर खुद को भूल चुका हूँ

जाने कौन सा दरिया जहाँ खुद को छोड़ चुका हूँ

मैं "अजनबी", अजनबी ही रहना चाहता हूँ क्योंकि?

होता हूँ जब तन्हा तो जी भर के रोना चाहता हूँ!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract