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एम एस अजनबी

Romance

4  

एम एस अजनबी

Romance

अरदास

अरदास

2 mins
228


प्रेमिका:

1.काश मैं प्रिंटर होती

हर रोज बिगडती

रिपेयर होने को तेरे पास मैं आती

तू मुझे प्रिपेयर करता

इसी बहाने कुछ पल तेरे साथ तो होती


2. काश मैं कोई कम्प्यूटर होती

हर दिन हर पल तुमको मेरी जरुरत होती

हर पार्ट्स जो मेरे होते अलग थलग

तुम जोड़ते बड़ी आत्मीयता के साथ

तेरे हाथों से मुझे संवारा जाता

यथावत जोड़कर मुझे करते तैयार

देकर करेंट मुझे चलाया जाता


मजबूरन तुमको मेरे पास तो आना होता

कभी चाहत से कभी अनचाहे

हर दिन तुमको मेरे संग समय बिताना होता


3. काश मैं भी मोबाईल होती

अपनी भी क्या स्टाइल होती

मिलता मुझको तेरे हाथो का प्यारा अहसास

कभी गलों से टच होती कभी होठों का टच मिलता

जब तुम रखते मुझको ऊपर वाली जेब में

सुन पाती तेरे दिल की धड़कन 

काश के ऐसा हो पाता

मैं प्रिंटर कंप्यूटर या मोबाइल बन पाती

तेरे संग ज्यादा से ज्यादा पल रह पाती


प्रेमी:

1.काश मैं होता मनचाहा सलेबस तेरी शिक्षा का

मुझे पढना तुझको भाता

कभी मुझको लिखना होता 

कभी मुझको पढना होता

कभी करते सर्च मुझे

कभी करते मुझपे रिसर्च


जो तेरे अनुमान के माफिक न होता मेरा रिजल्ट

तुम खीजते चिल्लाते गुस्सा दिखाते

पर अधूरा छोड़कर न जा पाते

खुद के मन में ये जोर अजमाईस करते

क्या और कहाँ गलत किया जो रिजल्ट ख़राब हुआ

शुरु से अंत तक ये विचार करते


जरुर खोज पाते खुद की गलती को

के क्यों आपकी रिसर्च पे मेरा ये रिजल्ट आया

अब भुलाकर बैर मेरे रिजल्ट का

अगले दिन फिर से ख़ुशी से विचार करते

मुझपे रिसर्च के लिए नए तरीके इजाद करते


एक बार फिर से दोनों में जोर अजमाईस होती

तुम सही मिश्रण और सही तरीके इस्तेमाल करते

मेरा रिजल्ट आपके अनुमान के माफिक होता

इस तरह हमदोनों में प्रेम और प्रगाढ़ होता


काश मैं होता बिंदिया सोता चैन की निदिया

हरपल माथे पर तू मुझे सजाती

जो बन जाता काजल 

आँखों पर मुझे हर रोज लगाती

जो होता मैं लाली 


मुझे सजाकर होठों पर तुम खुद इतराती

जो होता कंगन औ चूड़ी

पहन के दोनों हाथों में मुझको खनकाती

जो बन जाता दर्पण फिर मैं होता अर्पण

सज संवर कर मेरे पास जो तुम आते

मुझमें खुद की प्रतिछाया पाते


तुम खुद को मुझपे निहारा करते

मैं सच बतलाता तुम मेरा कहना माना करते

यूँ हर दिन कुछ पल ही सही तेरे साथ मैं रह पाता


रिजल्ट:

जब हैं दोनों के एक जैसे अहसास

चाहें दोनों एक दूजे का साथ

न तुम मुझको भूलने वाली

न मैं तुमको भूलने वाला

क्यों न मिलकर हो जाएँ हम दोनों एक

देकर अपने आँचल की छाँव, मैं बन जाऊँगी तेरी छाया

मैं बन जाऊँ तेरी चूड़ी कंगन काजल बिंदिया औ लाली।


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