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Bharti Sharma poetry

Tragedy

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Bharti Sharma poetry

Tragedy

वो कहते थे

वो कहते थे

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वो कहते थे कभी न छोड़ेंगे हाथ तुम्हारा,

छोड़ दिया हमको भँवर में कैसा प्यार था तुम्हारा।

गम है ना समझ सके वो दिल का हाल हमारा,

याद आता है हर पल जो तुम संग वक़्त गुजारा।

क्या जानो तुमको इस दिल ने कैसे,कैसे पुकारा,

पर निकलोगे भँवर से ,ये था तुम पर विश्वास हमारा।

जिस रिश्ते की चाह हमेशा से थी क्यों मिल सका उसका सहारा,

क्यों मिला दूजो को जिस प्यार पर हक़ था हमारा।

काश के कोई सुना दी उनको दिल का हाल हमारा,

काश के थम जाए गलतफहमी का बीच में सैलाब जो आया।

फिर भी देंगे दुआ तुमको खुश रहो सदा हर खुशी पर हो हक़ तुम्हारा,

चाँद सितारे चूमे कदम हर दिशा में हो नाम तुम्हारा।



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