एक शब्द
एक शब्द
वो एक शब्द तेरा,
वो एक शब्द मेरा
बाकी सब निशब्द हुये
जो किस्सा था तेरा-मेरा
हुआ मैं कैद जिसमे
वो जाल सा था तेरा
मिली जो पनाह मुझको
वो शाल ही था तेरा
वो उलझी सी जुल्फें
ढका सा तेरा चेहरा
जो तीर चले हैं
अब ना पूछ हाल मेरा
वो चमचमाती धूप में
लहराए दुपट्टा तेरा
जगमगा रहा है ऐसे
लगा रहा हो पहरा
धीमी धीमी चाल से
दिल घायल हुआ मेरा
उसमे ना खता तेरी
ना कसूर है मेरा।

