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यह शाम

यह शाम

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यह वक़्त भी ढल जाएगा

यह शाम यूँ ही गुज़र जाएगी।

यह महफ़िल जो आज सजी

जाने कल कहाँ मिल पाएगी।

 

थोड़ा इंतज़ार करूँगा मैं भी

थोड़ा वक़्त का सौदा तुम कर लेना

उस गुजरे वक़्त को

रौशन आँखों में भर लेना।

 

वक़्त की नज़ाकत कहीं

खामोशियों में सिमट जाएगी।

तेरे मेरे दरमियाँ वह शाम

कभी ढल न पाएगी।

न होंगी दूरियाँ, न फ़ासले बेवजह

यह शाम फिर जब भी याद आएगी।


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