बारिशों की बूंद
बारिशों की बूंद
बारिशों की इन बूंदों में
छम- छम चलते है हम
बादलों की इस गर्जन से
थर- थर डरते हैं हम
नभ में ये बिजलियां
चम-चम सी हैं चमकती
बारिशों में ये नदियाँ
कल- कल सी हैं बहती
ये गलियाँ अब मुझे
दल- दल सी है लगती
चलने में अब हमें
पल- पल है देर लगती
इन वृक्षों के कारण ही
नल- नल में पानी आ रहा
इन हरे-भरे पहाड़ों से
झर-झर है झरना बह रहा
खेतों और खलियानों में
हल-हल है अब चल रहे
भीगी हुई इस धरा में
थल- थल में फूल खिल रहे
