मैं खिल जाती हूँ उजली धूप की तरह। मैं खिल जाती हूँ उजली धूप की तरह।
तो इस कहानी को पूरा करने तो इस कहानी को पूरा करने
तेरी गोद में उछलती नदी सी बहती अब शांत शीतल जल मैं बदल रही हूं तेरी गोद में उछलती नदी सी बहती अब शांत शीतल जल मैं बदल रही हूं
तुम्हारा आना मानो बारिश के बूँदों का स्पर्श पा प्रकृति का पोर पोर खिल जाना..!! तुम्हारा आना मानो बारिश के बूँदों का स्पर्श पा प्रकृति का पोर पोर खिल जान...
हवाएं भी कुछ, गर्म मिजाज की होती, उनमें अधिक नमी होती, हवाएं भी कुछ, गर्म मिजाज की होती, उनमें अधिक नमी होती,
चाहे-बिन चाहे जब कभी, फिक्र मन में घर कर जाती है, चाहे-बिन चाहे जब कभी, फिक्र मन में घर कर जाती है,