बसंत की बारिश, साल भर लुभाती।
बसंत की बारिश, साल भर लुभाती।
बसंत आता,
प्रकृति का रूप,
निखर जाता,
नई नई कलियां,
खिलने लगती,
पत्ते भी नये आने लगते,
प्रकृति का श्रंगार,
हर तरफ खिल जाता,
इसी स्वागत के लिए,
सब संस्थान बंद होते,
पहाड़ों पर चले जाते,
खूब मिलकर जश्न मनाते,
हवाएं भी कुछ,
गर्म मिजाज की होती,
उनमें अधिक नमी होती,
जब उपर आकाश में जाती,
तो बारिश के रूप में,
नीचे आती,
इससे तापमान,
तो अवश्य गिरता,
लेकिन सबका,
बना बनाया प्रोग्राम बिगड़ता।
लेकिन फिर भी,
इसको कह सकते,
उपर वाले द्वारा,
ऋतुराज बसंत का स्वागत,
अपनी छटा बिखरने का अभिवादन।
सर्द ऋतु की समाप्ति,
गर्म ऋतु की शुरुआत,
अब फिर मिलेंगे,
इसी समय,
अगले साल।
समाप्त।
