सूरज (बाल कविता)
सूरज (बाल कविता)
सूरज देता है रोशनी
मीठी- मीठी सी चाशनी
पूरब से उगता सूरज
खोता ना अपना धीरज
कभी जो रोशनी कम होती
वो बादल से हैं ढक जाती
भोर होते ही उगता है
अँधेरा दूर करता है
जग में उजाला करता है
रास्ता सब को दिखाता है
तेज प्रचंड सी है रोशनी
इसकी है अपनी कहानी
कोई सूरज तक ना पहुंच पाया
उसकी ही है अद्भुत काया
उसकी संगिनी माया और छाया
हर दम रहता विश्व में तेरा साया