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शोख़ियों में घुली शबनम...

शोख़ियों में घुली शबनम...

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शोख़ियों में घुली शबनम,

थोड़ी मासूम, थोड़ी नर्म,

कभी चहकती,

कभी बहकती, 

याद जो आये बार-बार,

बस प्यार, हाँ प्यार! 

फूलों सी कमसिन जवानी लिये,

शराब की सी रवानी लिये,

हर कोने और ज़र्रे में छुपा प्यार हमारा,

अरमानों का चमचमाता सितारा।

 

दिन बचपने के,

दिल मनचले से,

तेरे आग़ोश में पिघलने की चाह,

कभी मुस्कान शर्मिली, कभी एक आह,

बाग़ों में, राहों में,  

हर कूचे और गलियारों में, 

चुपके से झाँकता हमारा प्यार, 

गलबहियों के डाले हार।

 

यादों की शहनाई की धुन,

तू भी तो ज़रा सुन,

तेरे बग़ैर ये सुनापन, ये तन्हाई,

हर कदम तेरी यादें ही चली आईं हैं, 

बन बैठी इक ख़ुमारी,

यादें तेरी प्यारी, 

सुध बुध सब हारी,

प्यार पर सब वारी,

जैसे शोख़ियों में घुली शबनम,

थोड़ी मासूम, थोड़ी नर्म।


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