न जाने क्यों तेरी याद आई
न जाने क्यों तेरी याद आई
फूलों की खुशबू ये चिड़ियों की सरगम
ये नदियां ये सावन महकता ये चिलमन
एक भंवरे को देख कली मुस्कुराई
न जाने क्यों तेरी याद आई...
ये झरने का पानी ये कविता पुरानी
हो जैसे मुहब्बत में मीरा दीवानी
कड़ी धूप में जब बदली-सी छाई
न जाने क्यों तेरी याद आई...
ये नगमे ये गाने दिलो के तराने
यूं मिलना मिलाना यूं हीं मुस्कुराना
भरी महफ़िल में भी थी तन्हाई
न जाने क्यों तेरी याद आई...
ये उजड़ी हुई एक वीरान बस्ती
ये सूखा ये पतझड़ ये कागज़ की कश्ती
तेरे ज़िक्र से हरसू हरियाली छाई
न जाने क्यों तेरी याद आई