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आरफ़ील Aarfeel

Abstract

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आरफ़ील Aarfeel

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भीड़तंत्र

भीड़तंत्र

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जो होगा वो देख लेंगे

ईंटा पत्थर फेंक लेंगे

आग लगेगी बाज़ारों में

नफ़रत की रोटी सेंक लेंगे


सत्ता पर काबिज़ होने का गुरुमंत्र है

ये भीड़तंत्र है... ये भीड़तंत्र है !


वो तुमको तुम उसको मारो

गंदा कीचड़ रोज़ उछालो

रोटी-कपड़ा भूल जाएं सब

ऐसा मुद्दा ख़ूब उछालो।


तुम आंखों के अंधों पर ये तंत्र-मंत्र है

ये भीड़तंत्र है... ये भीड़तंत्र है !


एक को पकड़ो सब आ जाओ

भरी राह में ख़ून बहाओ

हरकत करके कायर वाली

फिर सबको सीना दिखलाओ।


देख तमाशा इस दुनिया की आंख बंद है

ये भीड़तंत्र है... ये भीड़तंत्र है !


अब मेरा ही राज चलेगा

जो न झुका अब वो भुगतेगा

बात न मानी अब जो मेरी

घर क्या पूरा शहर जलेगा।


इस सहरा में ये ज़हरीला षणयंत्र है

ये भीड़तंत्र है... ये भीड़तंत्र है !

लेकिन अब निशाना तुम हो

गुज़रा हुआ ज़माना तुम हो।


अब क्या करोगे इनसे विनती

इन भेड़ियों का खाना तुम हो

राह में निकले हो तुम उसका यही अंत है

ये भीड़तंत्र है... ये भीड़तंत्र है !


फिर भी मुझको है विश्वास

दिल में छुपी एक ऐसी आस

कुछ ऐसा है हिन्दोस्तां में

जो कर दे इन सबका नाश


बहुत हुआ अब ख़त्म हुआ

ये भीड़तंत्र है

क्योंकि भारत में अब भी

चलता लोकतंत्र है... लोकतंत्र है।


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