भारत माँ की हम कैसी संताने
भारत माँ की हम कैसी संताने
इक धरा को सींचने की है तमन्ना तुमको यूं
सींचते हो खून से ये किस तरह की धुन चढ़ी
इक चमन को रौशनी से करना है यूं बाग-बाग
फूंकते हो उस चमन को रौशनी सिर पर चढ़ी
इक वतन को ले कलेजे से लगाकर झूमते
और इक माता के बेटे का कलेजा नोचते
इक मिट्टी को लगा माथे से करते हो तिलक
दूजी मिट्टी को कफ़न पर सौंदने की हड़बड़ी
इक नारे के लिए तुम हाथ मुट्ठी बांध लो
इक बेचारे के लिए तुम चढ़ गिरेबां साध लो
याद रखो एक दिन ये वलवले मिट जाएंगे
ये जो ताकत ये जवानी सब यहीं रह जाएंगे
याद आएगी ये बातें शून्य तब हो जाओगे
वक़्त है अब भी बदल दो खुद को और संसार को.
