बिटिया
बिटिया
चिड़ियों के बिन सूना उपवन,
कलियाँ बिन सूनी डाली।
कन्या के बिन सूना लगता,
पूरा घर आँगन खाली।।
जब ये किलकें खेलें चहकें,
तृप्त नयन हो जाते हैं।
जीवन में जब पुण्य फलें तो,
कन्या का फल पाते हैं।।1।।
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मुझे जन्म लेने दे माता,
मैं भी अंश तुम्हारी हूँ।
बड़ी लड़ोधर हूँ पापा की,
घर की राजदुलारी हूँ।।
बचा-खुचा खाकर जी लूँगी,
भैया गोद खिलाऊँगी।
एक दिवस तेरे आँगन से,
चिड़िया सी उड़ जाऊँगी।।2।।
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पढ़ा-लिखा कर मुझको भी माँ,
खड़ी पैर पर कर देना।
होकर बड़ी करूँगी सेवा,
सुन्दर सा चुन वर देना।।
तू भी नारी मैं भी नारी,
नारी होना पाप नहीं।
सूना जग नारी बिन सारा,
नारी हूँ अभिशाप नहीं।।3।।