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महेश जैन 'ज्योति'

Inspirational

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महेश जैन 'ज्योति'

Inspirational

गीत आजादी का

गीत आजादी का

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गूँज रहा है यूँ तो गुलशन , आजादी के नारों से ।

अटी पड़ी हैं सारी राहें , फिर भी पैने खारों से ।।

अमर शहीदों की कुर्बानी ,से ये आजादी आई ,

टुकड़े हुए देश के तब ये , मँहगी आजादी पाई ,

झुके हुए हैं शीश आज भी , वीरों के उपकारों से ।

अटी पड़ी हैं सारी राहें , फिर भी पैने खारों से ।।१

अमर शहीदों ने देखा जो , टूटा वह प्यारा सपना ,

मजहब की खाई ने देखो, हाल बनाया क्या अपना ?

नन्हीं जानें चीख रही हैं, हर दिन ‌अत्याचारों से ।

अटी पड़ी हैं सारी राहें, फिर भी पैने खारों से ।।२

ऊँचनीच ने छुआछूत ने, भेदभाव पनपाया है ,

नफरत का साम्राज्य फैलता, प्रेम नेह बिसराया है ,

भरे हुए दृग भारत माँ के, तनी हुई तलवारों से । 

अटी पड़ी हैं सारी राहें, फिर भी पैने खारों से ।।३

करती है आह्वान भारती , आओ लो संकल्प नया ,

प्रेम गंध से आँगन महके , बिसरा दो जो बीत गया ,

लगे चहकने मन गौरैया, फिर बदले व्यवहारों से ।

अटी पड़ी हैं सारी राहें, फिर भी पैने खारों से ।।४

आजादी का जश्न सभी हम , मिल कर संग मनायेंगे ,

फहरायेंगे साथ तिरंगा, जन-गण-मन फिर गायेंगे ,

आजादी का पर्व अनौखा , होगा स्वच्छ विचारों से ।

अटी पड़ी हैं सारी राहें , फिर भी पैनेे खारों से ।।५



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