गीत आजादी का
गीत आजादी का
गूँज रहा है यूँ तो गुलशन , आजादी के नारों से ।
अटी पड़ी हैं सारी राहें , फिर भी पैने खारों से ।।
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अमर शहीदों की कुर्बानी ,से ये आजादी आई ,
टुकड़े हुए देश के तब ये , मँहगी आजादी पाई ,
झुके हुए हैं शीश आज भी , वीरों के उपकारों से ।
अटी पड़ी हैं सारी राहें , फिर भी पैने खारों से ।।१
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अमर शहीदों ने देखा जो , टूटा वह प्यारा सपना ,
मजहब की खाई ने देखो, हाल बनाया क्या अपना ?
नन्हीं जानें चीख रही हैं, हर दिन अत्याचारों से ।
अटी पड़ी हैं सारी राहें, फिर भी पैने खारों से ।।२
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ऊँचनीच ने छुआछूत ने, भेदभाव पनपाया है ,
नफरत का साम्राज्य फैलता, प्रेम नेह बिसराया है ,
भरे हुए दृग भारत माँ के, तनी हुई तलवारों से ।
अटी पड़ी हैं सारी राहें, फिर भी पैने खारों से ।।३
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करती है आह्वान भारती , आओ लो संकल्प नया ,
प्रेम गंध से आँगन महके , बिसरा दो जो बीत गया ,
लगे चहकने मन गौरैया, फिर बदले व्यवहारों से ।
अटी पड़ी हैं सारी राहें, फिर भी पैने खारों से ।।४
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आजादी का जश्न सभी हम , मिल कर संग मनायेंगे ,
फहरायेंगे साथ तिरंगा, जन-गण-मन फिर गायेंगे ,
आजादी का पर्व अनौखा , होगा स्वच्छ विचारों से ।
अटी पड़ी हैं सारी राहें , फिर भी पैनेे खारों से ।।५