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महेश जैन 'ज्योति'

Inspirational

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महेश जैन 'ज्योति'

Inspirational

गीता का ज्ञान

गीता का ज्ञान

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*गीता का ज्ञान*


कर्म‌ कर तू अपना निष्काम‌,

कह रहे स्वयं‌ कृष्ण भगवान ।

मैं ही कर्म ‌क्रिया कर्ता हूँ,

मैं ही तत्व प्रधान ।।


मैं ही कारण मैं ही कारक, मैं‌ सर्जक संहारक हूँ,

मैं ही पोषक मैं ही शोषक, गुण अवगुण का धारक हूँ,

स्थित है मुझमें ही सबकुछ, मैं ही परम महान ।

कर्म‌ कर .....।।(१)


मैं ही कण- कण में‌ हूँ व्यापक, साध्य साधना साधक मैं,

रस प्रकाश पुरुषत्व शब्द मैं, गंध तेज तप वाहक मैं,

मैं ही नाद प्रणव का गुंजन, योग समाधि ध्यान ।

कर्म ‌कर .....।।(२)


मैं ही मारूँ मैं‌ ही मरता, मैं ही दुख दुखहर्ता हूँ,

मैं ही सुख मैं ही सुख कर्ता, प्रकृति प्रलय का कर्ता हूँ,

मैं ही काल चक्र का‌ नायक, मैं विधि और विधान‌ ।

कर्म‌ कर .....।।(३)


ये तो पार्थ सभी हैं मरने, मृत्यु खड़ी है वरने को,

देकर इन्हें मृत्यु का फल तू, भेज काल मुख भरने को,

फिर गांडीव उठा ले अर्जुन, बात अरे अब मान ।

कर्म‌ कर.....।।(४)


दिव्य दृष्टि देता हूँ तुझको, देख विराट रूप‌ ‌मेरा,

तेरे मन से हट जायेगा, मेरी माया का घेरा,

कर तू केवल कर्म छोड़ दे, फल पाने का ध्यान ।

कर्म‌ कर .....।।(५)



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