श्रावण मास
श्रावण मास
श्रावण का मास अति , प्यारा भोले बाबा को है ,
पावन है सोमवार , शिव को मनाते हैं ।
करते प्रतीक्षा कब , आयेगा पवित्र मास,
भोले को मनाने हेतु, सब अकुलाते हैं ।
गंगा जी का नीर चढ़ा, करते हैं अभिषेक ,
बेलपत्र आक पुष्प, धतूरा चढ़ाते हैं ।
कामना करें जो भक्त, पूर्ण करें भोले नाथ ,
होते हैं प्रसन्न दानी, औघड़ कहाते हैं ।
* * *
अनगिन भक्त चलें , काँवर को काँधे धर,
नंगे पाँव चलते हैं, सरि तट आते हैं ।
पावन वसन सब, पहनते मुसकाते,
गंगाजी के जल हेतु ,काँवर सजाते हैं
।
मधुर स्वरों में सब, शिव के भजन गाते ,
अभिषेक हेतु भर , गंगाजल लाते हैं ।
धरती पै धरते न, काँवर को पल भर,
कहलाते काँवरिया, शिव को मनाते हैं !
* * *
राहें अट जाती सब, मेला जैसा लग जाता,
हर-हर बम भोले, गूँजे जयकारा है ।
काँवरिया उर में, निवास करे भक्ति भाव,
सेवा करते हैं सभी, होता पुण्य भारा है ।
जिसने मनाये भोले, रख उर प्रेम भाव ,
उसका ही करें शिव, भव से निस्तारा है ।
'ज्योति' भोले बाबा की तो, लीला ही निराली अति,
भोले भोलेनाथ करें ,कष्ट दूर सारा है ।।