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Kajal Manek

Tragedy

4  

Kajal Manek

Tragedy

अब कुछ भी शेष नहीं

अब कुछ भी शेष नहीं

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अब न शिकायतें हैं न बातें हैं,

न कोई उम्मीद है न किसी से प्रीत है,


अब न कोई मन का मीत है,

अब न हार है न जीत है,


अब हर ओर है बस उदासी,

जैसे छाई हो एक खामोशी,


अब खिज़ा की पुरवाई है,

अकेलेपन से आंखें भर आईं है,


सूना लगता है संसार सारा,

जब खो जाए कोई आपका सबसे प्यारा,


अब न है किसी का इंतज़ार,

अब न है कोई राज़दार,


न अब किसी से कोई शिकायत है,

और न कहीं कोई रवायत है,


जब अकेलेपन में सुकून मिलता है,

खामोशी में भी आनंद मिलता है,


अब न प्यार है,

अब न इंतज़ार है,


अब न कुछ शेष है,

अब न कुछ विशेष है,


अब न कहने को कुछ बाकी है,

अब न सहने को कुछ बाकी है,


सूना लगता है अब संसार सारा, 

खो जाए रिश्ता जब सबसे प्यारा।



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