दोस्ती आज के दौर की
दोस्ती आज के दौर की


अक्सर धोखा अपने ही देते है
बीच मझधार में जो हाथ छोड़ देते है
हम ऐसे अपनो पर विश्वास कर लेते है
जो हमें ठग कर चल देते है
दिल उनकी याद में रोता है
मन उन्हें देखने विचलित होता है
पर ये सिर्फ अपना मतलब पूरा कर चल देते है
कभी कभी दोस्ती की आड़ में लोग फायदा उठा लेते है
अपने आंसू किसी को दिखाना नहीं
लोग फायदा उठाते है किसी के सामने नैनों से नीर बहाना नहीं
दोस्त बनकर लड़की की इज्जत का सौदा करते है
गर्लफ्रेंड बनाकर लोग इमोशन से खेल खेलते है
ऐसे दोस्तों पर कभी न करो विश्वास
जो केवल एक स्त्री का शरीर चाहता हो
जिसे केवल फिजिकल होना भाता हो।