मुसाफ़िर
मुसाफ़िर


क्या तेरा है क्या मेरा है
ये दुनिया एक माया का फेरा है
थोड़ा सा समय भगवान ने सबको दिया है
हर इंसान ने अपना जीवन यहाँ अपने हिसाब से जिया है
समय कम है और मोह है अधिक
ए मुसाफिर मोह को छोड़ ईश्वर से प्यार कर
ईश्वर पर एतबार कर
ईश्वर को हो जा समर्पित
फिर उसके बुलावे का इंतजार कर
ए मुसाफ़िर ईश्वर से प्यार कर।