खनकती चूड़ियाँ
खनकती चूड़ियाँ
एक सैनिक की पत्नी की चूड़ियाँ
क्या कहती हैं .......................
ये समय की दूरियाँ,
बोर्डर पर पिया की,
गोली संग होलियाँ,
याद करती हैं तुम्हें,
ये खनकती चूड़ियाँ.........
खनक में कभी उदासी है,
कभी कहकहों की अनुभूति,
कभी ये मचल भी उठती हैं,
मिलन की आस में प्यासी,
ये खनकती चूड़ियाँ...........
कभी रात की तनहाई से,
दो फुर्सत के पल निकाल,
खैर खबर कुछ बतियाना,
क्योंकि अक्सर पूँछती हैं ,
ये खनकती चूड़ियाँ.........
गर दुश्मन से सामना हो,
मन की अँखियों से सुन,
जाँ न्यौछावर से न घबराना,
अमरत्व को प्राप्त होती,
सनम की चूड़ियाँ.........
तेरे हाथों का एहसास,
इनमें समाया है,
तेरे आवाज़ की मिठास,
अभी तक गुनगुनाती हैं,
ये खनकती चूड़ियाँ......
तेरे हर स्वप्न सजाएगीं,
रंग बिरंगी चमचमाती,
तेरे रूह को महसूस को,
आलिंगन चित्रित करती,
ये खनकती चूड़ियाँ..........