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Abha Chauhan

Abstract Tragedy

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Abha Chauhan

Abstract Tragedy

नींद उड़ जाती है

नींद उड़ जाती है

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जब कहीं देश के सैनिक शहीद हो जाते हैं,

बम धमाके में कुछ निर्दोष मारे जाते हैं।

हमारे शहीदों की चिताए सजाई जाती है,

तब न जाने क्यों मेरी नींद उड़ जाती है।


स्त्री भ्रूण को खत्म कर दिया जाता है,

लालच में बहू को जला दिया जाता है।

शोषित नारी पंखे से लटक जाती है,

तब न जाने क्यों मेरी नींद उड़ जाती है।


कहीं किसी गरीब बच्चे से मंगवाते हैं भीख,

पापियों को नहीं मिलती उनकी किए की सीख।

किसी असहाय को मदद नहीं मिल पाती है,

तब ना जाने क्यों मेरी नींद उड़ जाती है।


रिश्वत के बिना जब होता नहीं है काम,

भ्रष्टाचार का आता है जब हर जगह नाम।

सब तरफ से बचाओ की आवाजें की आती है,

तब न जाने क्यों मेरी नींद उड़ जाती है।


जब संसार की सारी बेटियां होंगी सुरक्षित।

इस देश का हर बच्चा होगा शिक्षित।

सब कहेंगे चारों दिशाएं मुस्कुराती है,

तब मैं न कहूंगी कि नींद नहीं आती है।



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