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Abha Chauhan

Abstract Tragedy Inspirational

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Abha Chauhan

Abstract Tragedy Inspirational

नादान परिंदे

नादान परिंदे

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उड़ जा ए नादान परिंदे,

 तोड़ जंजीरे सोने की। 

अभी नहीं समझा जो तू, 

पडेगी जरूरत रोने की।


जिस को तू समझे घर अपना, 

वो तो हैं सिर्फ सुंदर सपना।

बाहर खुला आसमान है, 

पंख फैला के सीख ले उड़ना।।


इस पिंजरे में कोई नहीं है, 

तेरा अपना साथी रे।

न जाने कितनी आवाजे,

तुझको बाहर बुलाती रे।।


अपना घर ये नहीं है सुनले,

 ये तो एक बंधन है प्यारे।

आसमान ही अपना घर है,

 जहां रह है चांद-सितारे।


भूल पुरानी बिसरी यादें,

आसमान का अब रूख करले।

अपने देख रहे हैं रस्ता,

 खुशियों से तू झोली भरले।।


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