सुविधा शुल्क
सुविधा शुल्क
कुछ अधिकारी अपना नाम कमाते हैं,
टेबल के ऊपर से नहीं टेबल के नीचे से पैसे खाते हैं।
ऐसे ही एक ईमानदार अधिकारी से पड़ गया मेरा पाला,
और उसने मेरे जीवन में बवाल मचा डाला।
जी क्या बताऊं आपको में गया था पेंशन कार्यालय
पड़ गये मुझे वहां जाने पर लाले।
था मामला कुछ ऐसा
चाहिए था माँ को विधवा पेंशन का पैसा।
मैं अपने कागज लेकर उस अधिकारी के पास पहुँचा
उसने मेरे कागज को घुमाया देखा और कुछ सोचा।
बड़ी देर बाद उसने अपना पान भरा मुँह खोला
और माँ का वोटर आई डी, आधार कार्ड लाने को बोला।
मैं बेचारा चल पड़ा आगे
समझ में नहीं आ रहा था किधर भागे।
खैर खैर मैंने बहुत सारे जुगाड़ लगवाए ,
और माँ के वोटर आईडी और आधार बनवाए।
यह सब बनवाने में कुछ तीन चार महीने खिसक गए,
और सरकारी आफिस के चक्कर मारते मारते मेरे चप्पल घिस गये।
मैं बड़ा खुश हुआ और सरकारी आफिस पहुँचा
इस बार पहले अधिकारी ने मुझे दूसरे टेबल पर भेजा।
वे मन में कुछ सोच रहे थे, उन्होंने सारे कागज अलग अलग करके देखें,
और अपने मुंह से कुछ इस प्रकार के शब्द फेंके।
बोले नॉमिनेशन फ़ॉर्म पे पिताजी के साइन करवाइये
और फिर अपनी शकल दिखाइए।
मैंने कहा अब पिताजी के साइन करवाने क्या स्वर्ग में जाऊँ,
वो बोले तुम्हारी इच्छा अब मैं क्या बताऊँ।
पीछे लाइन में खड़े एक श्रीमान ने मुझे समझाया
काहे घबरा रहे हो हौसला दिलाया।
बोले टेबल के नीचे से लिफ़ाफ़ा खिसकाइए,
और अपने सारे काम झट से करवाइए।
यह सुनकर टेबल पर बैठे अधिकारी बोले,
हम किसी से कुछ मांगते नहीं लोग खुशी से दे जाते हैं,
इसे रिश्वत नहीं बाबू इसे सुविधा शुल्क कहते हैं।
टेबल के नीचे से सुविधा शुल्क खिसकाइए,
और माँ की क्या अपनी बीवी की भी विधवा पेंशन चालू करवाइए।।
