बेरोजगार आशिक
बेरोजगार आशिक
इश्क रसीला हो रहा,
लगता है बड़ा खास,
शादी पहले प्रेम में,
मिटाने को अपनी प्यास !
समय समय की रीत है,
समय बड़ा है खास,
समय चुके पछतायेगा,
बनेगा तू पोपटदास।
प्रेमी बेरोजगार है,
रखता बाबु पर विश्वास,
अंत समय "कट जाएगा",
होगा सत्यानाश।
बाबु को जो प्रेम चाहिए,
ऐसी हिम्मत सिर्फ
बेरोजगार आशिक के पास,
"नौकरी लगी कोई और मिला"
"बाबु तुम समझ रहे हो ना बात"
बेरोजगारी में आशिक,
प्रेम करते रह जाते है,
रोज रात को chat पर,
शौना को खाना खिलाते है,
सपने छोड़कर एक कोने में,
ये बात भूल जाते है,
लड़कियों के सपनों में,
"मजदूर नहीं राजकुमार ही आते है"।
लड़की की भी गलती नहीं,
उसका मन भी तो उन्नती चाहेगा,
कौन भाई अपनी बहन का,
बेरोजगार से रोका करवाएगा।
सपने अपने पूरे करो,
लड़की को दो विश्वास,
प्रेम भी होगा, विवाह भी होगा,
जब कमाई होगी पास।
धीरे-धीरे रे "हेमन्त",
धीरे सब कछु होए,
मेहनती समय खोने पर,
"बेरोजगार आशिक" है रोये !