कविता का सारांश हो तुम
कविता का सारांश हो तुम
क्या हो तुम?
संगीत?
गीत?
सच्ची मीत?
मेरी सांसों का अहसास हो,
मेरी कविता में सबसे खास हो,
कविता के शब्द तुम्हीं से,
सच्चे रिश्ते का प्रयास हो!
तुम आनंद हो,
फूलों का मकरंद हो,
मैं हूँ तुमसे बँधा हुआ,
तुम तो बस स्वच्छंद हो!
तुम मुस्कान हो,
शब्दों से तीर कमान हो,
तुम हो खुशियों की प्रतिमूर्ति,
मेरी भावनाओं का परिणाम हो!
तुम साँस हो,
कृष्ण का तुम रास हो,
दूर रहती हो मुझसे फिर भी,
मेरे दिल के सबसे पास हो!
तुमसे है मिलता ज्ञान,
Motivation आ जाता है,
मुस्कान तुम्हारी इतनी प्यारी,
जीवन संवर सा जाता है!
तुम मेरी laugh हो,
सारी गलतियां माफ़ हो,
उस दिल में मैं कैसे न रहूं,
जो पहले से इतना साफ़ हो!
तुम ख्वाब हो,
तुम शराब हो,
दुनिया हमारी इतनी सुन्दर,
और तुम सबसे लाजवाब हो!
तुम vibe भी हो,
तुम smile भी हो,
हर शब्द को कविता बना दो,
"हेमन्त" की वो rhyme भी हो!
तुम साथ हो,
तुम विश्वास हो,
क्या लिखूँ, कितना लिखूँ,
मेरी कविता का सारांश हो!!

