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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance Fantasy

दिलवाले

दिलवाले

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मुहब्बत के बाजार में दिलों का मेला लगा है

हसीन से चेहरों ने न जाने कितनों को ठगा है 


निगाहों से दावतें देकर दिल लूटना आता है इन्हें 

मतलब के महबूब हैं इनके लिए न कोई सगा है 


लबों के जाम में घोल पिलाते हैं मस्ती की मदिरा 

इश्क की नींद में गाफिल हैं सब न कोई जगा है 


हुस्न का जाल बिछाकर छीन लेते हैं चैनो सुकून 

बदले में आशिकों को देते बेवफाई का तमगा है 


हुस्ने सितम सहते रहे ताजिंदगी सच्चे आशिक 

वो दिलवाला ही क्या है जो इस पथ से डिगा है।


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