वो पीपल था न नीम था वो पेड़ पुराना बरगद का। वो पीपल था न नीम था वो पेड़ पुराना बरगद का।
एक अंतहीन सफ़र तय करती ये आवाज़ें कहाँ से आती हैं कहाँ जाती हैं। एक अंतहीन सफ़र तय करती ये आवाज़ें कहाँ से आती हैं कहाँ जाती हैं।
भरा हुआ है एक खाली कमरा मेरे वजूद से। भरा हुआ है एक खाली कमरा मेरे वजूद से।
ज़र्रा में सांसें चल रही है उनकी भी आवाजें महसूस हो रही है। ज़र्रा में सांसें चल रही है उनकी भी आवाजें महसूस हो रही है।
चलो वहाँ जहां न सुनाई दे महानगरों की न थमने वाली आवाजें जहां सुनाई दे सुनसान रातो... चलो वहाँ जहां न सुनाई दे महानगरों की न थमने वाली आवाजें जहां सुना...
कविता याद करने के लिए रात रानी बुलायी जाएगी कविता याद करने के लिए रात रानी बुलायी जाएगी